मौलिक अधिकार इन हिंदी | Fundamental Rights Of India कोनसे है
मौलिक अधिकार इन हिंदी | Fundamental Rights Of India कोनसे है
नमस्ते, मौलिक अधिकार इन हिंदी में जानकारी लेने वाले है. भारत के Fundamental rights of india कोनसे है. यह सब निचे डिटेल्स से देखंगे. हर कोई अपने गुणों की प्रगति और विकास करना चाहता है. उसे अपनी राय व्यक्त करने, स्वतंत्र रूप से संवाद करने, अपना व्यवसाय चुनने, इत्यादि की स्वतंत्रता होनी चाहिए. किसी व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक शर्तों को अधिकार कहा जाता है.
उदाहरण के लिए, शिक्षा विकास और रोजगार के अवसर प्रदान करती है. इसलिए शिक्षा के अवसरों की मांग करना और पहचानना शिक्षा के अधिकार का दावा करना है. संविधान में ही ऐसे अधिकारों को सुनिश्चित करके नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है. इस ब्लॉग में, हम भारत के संविधान में नागरिकों के अधिकारों का अध्ययन करेंगे.
Fundamental Rights Of India/ मौलिक अधिकार कोनसे है
संविधान में निहित नागरिकों के अधिकारों को 'मौलिक अधिकार' कहा जाता है. सरकारें मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कानून नहीं बना सकती हैं. नागरिकों के लिए मौलिक अधिकारों का ऐसा संरक्षण होना बहुत जरूरी है. भारत का संविधान नागरिकों को छह मूल अधिकार देता है.
समानता का अधिकार/ Right to equality
समानता के अधिकार के अनुसार, सरकार धर्म, जाति, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं कर सकती है. साथ ही सभी भारतीय नागरिक कानून के समक्ष समान हैं. और सभी को कानून का समान संरक्षण प्राप्त है. सभी को सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग करने का अधिकार है. यह सभी भारतीय नागरिकों को समान रोजगार के अवसरों की गारंटी देता है. संविधान अस्पृश्यता की प्रथा को समाप्त करता है. जिससे अस्पृश्यता का पालन अपराध हो जाता है. संविधान लोगों को श्रेष्ठ और हीन के रूप में खिताब देने पर रोक लगाता है. उदाहरण के लिए, राजा, महाराजा, राव बहादुर जैसी उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है.
Right To Freedom/ स्वतंत्रता का अधिकार के बारे में
संविधान भारतीय नागरिकों को छह प्रकार की स्वतंत्रता की गारंटी देता है. ये छः स्वतंत्रताएँ इस प्रकार हैं.
अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of expression)
भारतीय नागरिकों को विभिन्न माध्यमों से अपने विचारों को सोचने और व्यक्त करने की स्वतंत्रता है.
सदन की स्वतंत्रता (Freedom of assembly)
नागरिकों को बिना हथियार के शांतिपूर्वक इकट्ठा होने की स्वतंत्रता है. नागरिक अपने अनुसार बैठकें कर सकते हैं. वे शांतिपूर्वक रैलियां, प्रभातफेरी, विरोध रैली आदि का आयोजन कर सकते हैं.
संघ की स्वतंत्रता (Freedom of association)
कुछ सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समान विचारधारा वाले लोग एक साथ आते हैं. उन्हें संगठन बनाने की स्वतंत्रता है.
संचार की स्वतंत्रता (Freedom of communication)
भारत के नागरिकों को देश के किसी भी हिस्से में स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने की स्वतंत्रता है.
निवास की स्वतंत्रता (Freedom of residence)
भारत के नागरिकों को देश में कहीं भी रहने और हमेशा रहने की स्वतंत्रता है.
व्यवसाय की स्वतंत्रता (Freedom of business)
भारतीय नागरिक जो भी कानूनी व्यवसाय चाहते हैं वह कर सकते हैं.
इन छह स्वतंत्रता के अलावा, संविधान दो अन्य महत्वपूर्ण नागरिक स्वतंत्रता प्रदान करता है. उनके अनुसार, किसी भी व्यक्ति को अवैध रूप से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा, सरकार अवैध रूप से किसी भी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को नहीं छीन सकती है.
ये स्वतंत्रताएं अप्रतिबंधित नहीं हैं. इस अधिकार का प्रयोग करते समय, व्यक्ति को यह ध्यान रखना होगा कि शांति, व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य, नैतिकता और राष्ट्र हित से समझौता नहीं किया जाएगा.
2009 में, छह से चौदह वर्ष की आयु के बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा (ग्रेड एक से आठ) अनिवार्य करने के लिए एक कानून बनाया गया था. यह कानून अब किसी भी बच्चे को शिक्षा से वंचित नहीं करेगा.
Right against exploitation/ शोषण के खिलाफ अधिकार
सभी के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, संविधान नागरिकों को शोषण के खिलाफ अधिकार देता है. इसके अनुसार, संविधान ने मानव की बिक्री और खरीद, दासता और जबरन श्रम पर प्रतिबंध लगा दिया है. 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों, या अन्य खतरनाक स्थानों पर नियोजित करना भी वर्जित है. 2006 में, बाल श्रम के सभी रूपों को अपराध बनाने के लिए इस अधिकार का और विस्तार किया गया.
धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (Right to freedom of religion)
हमारे देश में विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के लोग रहते हैं. संविधान सभी को अपने धर्म के अनुसार पूजा करने हालाँकि सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता है. लेकिन सरकार धर्म के नाम पर अमानवीय प्रथाओं, रीति-रिवाजों और अंधविश्वासों पर प्रतिबंध लगा सकती है.
सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार (Cultural and educational rights)
भारत में सांस्कृतिक विविधता है. क्योंकि हमारे देश में विभिन्न धर्म, पंथ और भाषाएं हैं. सांस्कृतिक परंपराएं भी अलग हैं. इन सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए, हमारी विशिष्ट भाषा को विकसित करने के लिए, संविधान ने नागरिकों को सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार दिए हैं. अल्पसंख्यक समूहों को अपनी भाषा, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा और पोषण करने का अधिकार है. इसके लिए, उन्हें एक स्वतंत्र शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने का अधिकार है.
न्यायालय में अपील करने का अधिकार (Right to appeal in court)
नागरिकों को न्यायालयों से निवारण प्राप्त करने का अधिकार है. यदि उनके अधिकारों का उल्लंघन या संविधान में खंडन किया जाता है. न्यायालयों में निवारण का अधिकार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि यह अधिकार सरकार को व्यक्ति के मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं करता है.
नागरिकों के मूल कर्तव्य (Basic duties of citizens)
नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की आवश्यकता है. 1976 में, देश के नागरिकों को देश के प्रति उनकी जिम्मेदारियों को याद दिलाने के लिए 10 बुनियादी कर्तव्यों को भारतीय संविधान में शामिल किया गया था. मूल कर्तव्यों में संविधान का पालन करना, राष्ट्रगान और ध्वज का सम्मान करना और देश की रक्षा करना शामिल है.
पर्यावरण की रक्षा करना भी नागरिकों का मूल कर्तव्य है. पेड़ों की अत्यधिक कटाई, प्लास्टिक का उपयोग, नदियों और झीलों में औद्योगिक कचरे को डंप करना, प्रदूषण फैलाने वाले भारी वाहन प्रदूषण फैलाते हैं. और प्रकृति के संतुलन को परेशान करते हैं. लाउडस्पीकरों और त्यौहारों पर वाहन के हॉर्न बजने से शोर प्रदूषण बढ़ जाता है. प्रदूषण न केवल पर्यावरण को बल्कि मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुँचाता है. वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण से बचकर पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है.
अधिकारों और कर्तव्यों का संतुलन (Fundamentals rights and duties)
सभी के समान अधिकार और जिम्मेदारियां हैं. प्रत्येक नागरिक को यह महसूस करना चाहिए कि अधिकारों और कर्तव्यों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है. अधिकारों से हमारा विकास होता है. जबकि कर्तव्य से सामाजिक जीवन सुचारू होता है. अपने अधिकारों का लाभ उठाना और अपने कर्तव्यों को पूरा करना प्रत्येक बुद्धिमान नागरिक की पहचान है. अधिकारों का प्रयोग करते समय, हमें अपने दायित्वों के बारे में भी पता होना चाहिए.
नागरिकों के मूल कर्तव्य (What are the 11 fundamental duties)
- हर नागरिक को संविधान का पालन करना चाहिए. संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के आदर्शों का सम्मान किया जाना चाहिए.
- स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने वाले आदर्शों का पालन करें.
- देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.
- अपने देश की रक्षा करो, देश की सेवा करो.
- हमें सभी मतभेदों को भूल जाना चाहिए और एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए. महिलाओं की छवि को धूमिल करने वाले अभ्यासों को छोड़ दिया जाना चाहिए.
- हमारी समग्र संस्कृति की विरासत को संरक्षित करें.
- प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण करें. जीवों पर दया करो.
- वैज्ञानिक दृष्टि, मानवतावाद और जिज्ञासा को अपनाएं.
- सार्वजनिक संपत्ति का संरक्षण करें. हिंसा को छोड़ देना चाहिए.
- देश की प्रगति के लिए, व्यक्ति को व्यक्तिगत और सामूहिक कार्य में एक उच्च स्तर तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए.
- 6 से 14 वर्ष की उम्र के बीच अपने बच्चों के लिए पोलकानी शिक्षा के अवसर (यह ड्यूटी 2002 में जोड़ी गई थी.)
संपत्ति के अधिकार (Property rights)
संविधान ने नागरिकों को अपनी और अपनी संपत्ति का मौलिक अधिकार दिया. लेकिन जमींदारी जैसी असमानताएं. इससे उर्वरक प्रथाओं के उन्मूलन में बाधा उत्पन्न हुई है. इसलिए संपत्ति के अधिकारों को धीरे-धीरे बदल दिया गया है. संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं है. फिर भी, सरकार बिना कारण के एक नागरिक की संपत्ति को जब्त नहीं कर सकती है. यदि किसी नागरिक की संपत्ति सरकार द्वारा बांधों, व्यापार या अन्य सार्वजनिक कार्यों के लिए ली जाती है. तो सरकार सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार उन नागरिकों के पुनर्वास के लिए जिम्मेदार है.
Conclusion
हमने इस पोस्ट में देखा की मौलिक अधिकार कोनसे है. इस ब्लॉग में Fundamental Rights Of India के बारे में डिटेल्स से जानकारी देखीं. हम आशा करते है की यह आपको समझ में आया होगा. Post अच्छी लगे तो Comment करके जरूर बताना
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