Lal Bahadur Shastri in Hindi, ईमानदारी, साहस, देशभक्ति के लाल बहादुर शास्त्री 2021
Lal Bahadur Shastri in Hindi | सत्य, पवित्रता, ईमानदारी, साहस, सादगी, देशभक्ति के लाल बहादुर शास्त्री 2021
नमस्कार, Lal Bahadur Shastri in Hindi, सत्य, पवित्रता, ईमानदारी, साहस, सादगी, देशभक्ति के लाल बहादुर शास्त्री उनके बारे हम जानकारी लेने वाले है. लाल बहादुर शास्त्री के बारे आप पूरा पढ़े, चलिए देखते है.
भारत की स्वतंत्रता के एक देशभक्त और स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म बनारस के निकट भोगलसराय रेलवे स्टेशन के निवासी शारदा प्रसाद बरामदुलारीदेवी के घर हुआ था. लाल बहादुर का मूल नाम श्रीवास्तव था.
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लाल बहादुर शास्त्री |
उनके पिता एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक थे. लाल बहादुर डेढ़ वर्ष की आयु में थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. इसलिए उन्हें बहुत ही कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ा और शिक्षा प्राप्त की.
Lal Bahadur Shastri in Hindi
असहकार आंदोलन में लाल बहादुर शास्त्री शामिल
स्कूल नदी के उस पार एक गाँव में था. कभी कभी उनके पास नाव चलाने वाले को नदी पार करने के लिए एक पैसा भी देने के लिए नहीं होता था. इसलिए वह नदी के उस पार अपने सिर पर बैग रखकर तैरकर जाते थे. इस प्रकार उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी.
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1921 में जैसे ही गांधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहकार आंदोलन शुरू किया, उन्होंने अपने घर की बिकट स्थिति पर विचार किए बिना आंदोलन में भाग लिया और उन्हें कैद कर लिया गया.
लाल बहादुर शास्त्री की शादी
लाल बहादुर ने शादी में एक भी दहेज का पैसा नहीं लेने का फैसला किया था. लेकिन उन्होंने मिर्जापुर की ललिता गौरी से शादी कर ली. ललिता गौरी के पिता ने दहेज लेने की जिद की थी. तब लाल बहादुर ने अपने ससुर से कहा, 'मामाजी, अगर आप जिद करते हैं. तो आप मुझे पांच बार खादी का कपड़ा दिला सकते हैं लेकिन पैसे नहीं. ऐसा था लाला बहादुर का सिद्धांत.
बाद में, लाल बहादुर ने काशी विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में शास्त्री की उपाधि प्राप्त की. और उनके उपनाम श्रीवास्तव ने खुलासा किया कि वे कायस्थ जाति के थे. तो लाल बहादुर, जिन्होंने हिंदू धर्म में जातियों और उपजातियों को नहीं माना, उन्होंने श्रीवास्तव नाम को छोड़ दिया और अंतिम नाम शास्त्री का उपयोग करना शुरू कर दिया.
बाद में, लाल बहादुर शास्त्री ने अपना जीवन अस्पृश्यता, खादी के प्रसार और कांग्रेस संगठनों के गठन के लिए समर्पित कर दिया. वह कांग्रेस में कई पदों पर रहे.
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री/ Second Prime Minister of India
1942 में गांधीजी द्वारा शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन में भी वे कुछ समय तक भूमिगत रहे और आंदोलन का मार्गदर्शन किया. आखिरकार वे पकड़े गए और उन्हें जेल जाना पड़ा. लाल बहादुर को ब्रिटिश सरकार ने सात बार गिरफ्तार किया और कुल नौ साल जेल में बिताए.
वे 1946 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए और मंत्री बने. 1952 में वे पंडित जवाहरलाल नेहरू के केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेल मंत्री बने. उन्होंने अपने समय में एक ट्रेन दुर्घटना के लिए नैतिक जिम्मेदारी ली और इस्तीफा दे दिया.
क्या वह वाकई हार्ट अटैक था?
वह 1960 में गृह मंत्री बने और बाद में पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद 9 जून, 1960 को भारत के प्रधान मंत्री बने. जब लाल बहादुर प्रधान मंत्री थे, तब पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर आक्रमण करने के लिए कश्मीर पर आक्रमण किया था. लेकिन उनके आदेश पर भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना को हराया.
बाद में रूसी शहर ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर बातचीत करने की कोशिश के दौरान दिन, 1 जनवरी, 66 उनकी मृत्यु हो गई. दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत की खबर आई थी. उनके मौत के बाद भी अभी भी संदेह बना हुआ है. उनकी मौत के बाद पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा किया था कि उनके पति की मौत जहर खाने से हुई है. उनके बेटे सुनील शास्त्री ने उनसे पूछा था कि क्या उनके पिता के शरीर पर नीले निशान हैं. साथ ही उनके शरीर पर कुछ कट भी थे.
'जय जवान जय किसान', साफ-सुथरे चरित्र के छोटे लेकिन बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं.
लाल बहादुर शास्त्री की अच्छी बातें, Lal Bahadur Shastri in Hindi
अपने गरीब माता-पिता पर बोझ न डालें और उनके पैसे बचाएं. लाल बहादुर शास्त्री, एक असाधारण बहादुर लड़का है. वह हर दिन गंगा नदी में तैरकर और स्कूल जाता थे.
एक लड़का काशी में हरिश्चंद्र हाई स्कूल में पढ़ रहा था. उनका गाँव काशी से 8 मील दूर था. वह रोज वहां से स्कूल जाता था. हमें स्कूल के रास्ते में गंगा नदी पार करनी थी. उस समय एक नाव वाले को गंगा पार करने के लिए दो पैसे देने पड़ते थे. २ जाने के लिए और २ वापस आने के लिए.
लड़के ने अपने माता-पिता पर पैसे का बोझ नहीं डालने का फैसला किया. और उसने बिना पैसे मांगे तैरना सीख लिया. वह किसी भी मौसम, गर्मी, बरसात या ठंड में स्कूल जाने के लिए नियमित रूप से गंगा में तैरते थे. कई दिन ऐसे ही बीत गए. एक बार वह पौष के महीने में एक ठंडी सुबह स्कूल के लिए गंगा में उतरा. तैरते तैरते नदी के बीच में आ गया. कुछ यात्री नाव में नदी पार कर रहे थे. यह देखकर कि एक छोटा लड़का नदी में बुड रहा है. ऐसे समझ के उसके पास पहुँचे. उसे हाथ से पकड़ लिया, और उसे नाव में खींच लिया. लड़के के चेहरे पर कोई डर या चिंता नहीं थी. उनके असाधारण साहस पर हर कोई आश्चर्यचकित था.
लोग: अगर तुम अभी डूब जाते तो क्या होता? ऐसा करने की हिम्मत करना सही नहीं है.
लड़का: रोमांच एक गुण है. आपको बहादुर बनना होगा. जीवन में आपदाएँ आएंगी, उनका सामना करने और उनसे उबरने के लिए साहस चाहिए. अगर हम अभी से बहादुर नहीं हुए, तो हम जीवन में महान काम कैसे कर सकते हैं?
लोग: तुम इस तरह तैरने क्यों आए? दोपहर में आना चाहिए?
लड़का: मैं तैरने के लिए नदी में नहीं गया था. मैं विद्यालय जा रहा हूँ.
लोग: नाव में बैठ कर जाना चाहिए.
लड़का: इसमें प्रति दिन चार पैसे खर्च होते हैं. मैं अपने गरीब माता-पिता के लिए बोझ नहीं बनना चाहता. मैं अपने दो पैरों पर खड़ा होना चाहता हूं. अगर मेरे खर्चे बढ़ेंगे, तो मेरे माता-पिता की चिंता बढ़ जाएगी. उनके लिए घर चलाना मुश्किल हो जाएगा.
लोग उन्हें सम्मान से देखते रह गए. लड़का बाद में भारत का प्रधानमंत्री बना. वह लड़का कौन था वह लाल बहादुर शास्त्री थे. इतने ऊँचे पद पर होने के बावजूद उनके पास सत्य, पवित्रता, ईमानदारी, साहस, सादगी, देशभक्ति आदि जैसे गुण थे और वे सदाचार के प्रतीक थे. ऐसे महापुरुष थोड़े समय के लिए शासन करने के बाद भी जनता पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं.
लाल बहादुर शास्त्री बचपन की कहानी
भारत के दूसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री सादगी और महानता की प्रतिकृति थे. उनके जीवन की कई घटनाएं प्रेरणादायक हैं. इसके कारण वह देश के प्रधानमंत्री थे. एक दिन वह एक कपड़ा मिल देखने गए. उनके साथ मिल मालिक, उच्च अधिकारी और अन्य महत्वपूर्ण लोग थे.
मिल देखने के बाद शास्त्री जी मिल के गोदाम में गए और उन्हें साड़ी दिखाने को कहा. मिल मालिक और अधिकारी ने उन्हें एक से बढ़कर एक खूबसूरत साड़ियां दिखाएं. शास्त्री जी ने साड़ी को देखा और कहा, 'साड़ी बहुत सुंदर है, इसकी कीमत क्या है?'
यह साड़ी 800 रुपये की है और इसकी कीमत 1000 रुपये है. यह बहुत महंगा है, मुझे कम कीमत वाली साड़ियों को दिखाएं, शास्त्री जी ने कहा. यह ध्यान देने योग्य है कि यह घटना 1965 में हुई थी, उस समय एक हजार रुपये की कीमत बहुत अधिक थी.
खैर, यह देखिए. यह साड़ी पाँच सौ रुपये की है और यह चार सौ रुपये की है. 'मिल मालिक ने दूसरी साड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा. 'अरे पिताजी, ये बहुत महंगे हैं। शास्त्री जी ने कहा, मेरे जैसे गरीबों के लिए मुझे सस्ती साड़ियाँ दिखाओ. जिन्हें मैं खरीद सकता हूँ. 'सरकार, आप हमारे प्रधान मंत्री हैं. आपको गरीब कैसे कहा जा सकता है? हम आपको ये साड़ी तोफा दे रहे हैं, 'मिल मालिक ने कहा.
नहीं बाबा, मैं यह तोफा नहीं लेजासकता हूँ. शास्त्रीजी ने कहा. इस पर मिल मालिक ने कहा. हमें अपने प्रधानमंत्री को तोफा देना हमारा अधिकार है.
हां, मैं प्रधानमंत्री हूं, 'शास्त्रीजी ने शांत भाव से कहा. लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उन चीजों को स्वीकार कर सकता हूं. जिसे में खरीद नहीं सकता और वह पत्नी को दिलादु. मैं प्रधानमंत्री होते हुए भी गरीब नहीं हूं. तुम मुझे एक सस्ती साड़ी दिखाओ. मैं जितनेकी खरीद सकता हु उतने की साड़ी खरीदूंगा.
मिल मालिक की सारी दलीलें व्यर्थ थीं देश के प्रधान मंत्री ने सस्ती साड़ी खरीदी. शास्त्रीजी इतने महान थे कि प्रलोभन भी उन्हें छू नहीं सके.
Conclusion
हमने इस पोस्ट में देखा की Lal Bahadur Shastri in Hindi, सत्य, पवित्रता, ईमानदारी, साहस, सादगी, देशभक्ति के लाल बहादुर शास्त्री. हम आशा करते है की यह Post आपको समझ में आया होगा. Post अच्छी लगे तो Comment करके जरूर बताना
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